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पीएम मोदी से गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषा को संविधान की 8वीं सूची में शामिल कराने की मांग


दिल्ली मयूर विहार के भाजपा जिलाध्यक्ष डा. विनोद बछेती ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र

 

यू टाईम्स, नई दिल्ली। 

दिल्ली मयूर विहार के भाजपा जिलाध्यक्ष डा. विनोद बछेती ने पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग रखी है। उत्तराखंड में सदियों से बोली व लिखी जा रही गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी भाषाओं के संरक्षण के लिए उन्होंने सरकारी प्रयासों को जरूरी बताया है। डा. विनोद ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को भी इस संबंध में पत्र लिखा है। 

 

 

इसी के साथ डॉ. बछेती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तराखंड के साहित्यकारों के एक प्रतिनिधि मंडल को समय देने का निवेदन भी किया है। ताकि यह प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री से मिलकर गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा के महत्व और इस क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों से अवगत करा सकें। आपको बता दें कि डॉ. विनोद बछेती पिछले कई वर्षों से दिल्ली-एनसीआर में ‘उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच’ एवं ‘दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट‘ के तत्वावधान में गढ़वाली-कुमाऊँनी एवं जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने तथा प्रवासी उत्तराखंडियों के बच्चों को अपनी भाषा-बोली सिखाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं ।


 70 लाख से अधिक लोग बोलते हैं गढ़वाली-कुमांऊनी भाषा


आज भी लगभग 70 लाख से अधिक लोग इन भाषाओं को बोलते हैं। सदियों से गढ़वाली-कुमाऊँनी-जौनसारी भाषा में साहित्य सृजन हो रहा है एवं हजारों पुस्तकें इन भाषाओं के प्रकाशित हुई हैं। साहित्य की सभी विधाओं काव्य संग्रह, कहानी  संग्रह, नाटक, एकांकी, उपन्यास, संस्मरण, साक्षात्कार,निबंध, महाकाव्य, भाषा, व्याकरण शब्दकोश के रूप में गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी भाषा के कई ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। किसी भी समाज की भाषा उसका एक मुख्य अंग होती है,अगर भाषा जीवित रहेगी तो,संस्कृति भी जीवित रहती है।

सांसद अजय भट्ट ने किया था विधेयक पास


आपको बता दें कि गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए लोकसभा में नैनीताल से सांसद अजय भट्ट ने निजी विधेयक पेश किया था। इस निजी विधेयक पेश करने के उद्देश्यों के बारे में कहा गया था कि संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है। लेकिन,यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाखों लोगों की ओर से बोली जाने वाली गढ़वाली-कुमाऊंनी-जौनसारी को अभी तक आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है।

 

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