विवेक मिश्रा, लखनऊ
योगी आदित्यनाथ पर एक किताब बाजार में आई है, जोकि काफी चर्चा में बन गई है। इस किताब में अब तक उत्तर प्रदेश में हुए 21 सीएम के कामों और उनके जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। यह किताब इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार श्यामलाल यादव ने लिखी है। At The Heart Of Power: The Chief Ministers of Uttar Pradesh (ऐट द हर्ट ऑफ पॉवर: द चीफ मिनिस्टर और उत्तर प्रदेश) किताब में वरिष्ठ पत्रकार श्याम लाल यादव ने कई दावे किए हैं।
उन्होंने अपनी किताब में दावा किया है कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को हटाने की पूरी तैयारी थी।
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अपनी किताब में श्याम लाल यादव लिखते हैं कि उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनाव में कुल नौ महीने बचे थे। ऐसे में लखनऊ से दिल्ली तक बीजेपी और आरएसएस नेताओं के बीच कई दौर की मुलाकातें हुईं। एक वक्त तो तय हो गया था कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाएगा। इससे पहले योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कोई बदलाव किया जाता है, उससे पहले बीजेपी के आलाकमान को आभास हो गया कि अगर चलती सरकार में योगी को हटाया गया, तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा।
श्याम लाल यादव ने अपनी किताब में योगी को हटाने की कोशिश के पीछे का कारण तो नहीं बताया है, लेकिन योगी पर लिखे गए वो 16 पन्नों में योगी सरकार के विरोध में जो कुछ चीजें हो रही थीं, उसका ब्योरा जरूर दिया। उस समय उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से उनके मतभेद बढ़ रहे थे। श्याम लाल यादव आगे लिखते हैं कि हालांकि आरएसएस नेताओं के दखल के बाद 22 जून 2021 को योगी आदित्यनाथ अचानक केशव प्रसाद मौर्य से मिलने पहुंच गए थे। इसको दोनों नेताओं के रिश्ते में सुधार की कवायद के रूप में देखा गया। केशव प्रसाद मौर्य अप्रैल 2016 में बीजेपी अध्यक्ष बनाए थे और मार्च 2017 में बीजेपी की जीत के बाद उनका नाम सीएम की रेस में था, लेकिन योगी को सीएम बना दिया गया, तभी से दोनों के बीच में मतभेद उत्पन्न हो गए थे।
बीजेपी राज में ब्यूरोक्रेसी का रहता है दबदबा
इसके अलावा, दूसरा ब्यूरोक्रेसी का दबदबा है। किताब में कहा गया है कि जब भी बीजेपी सरकार आती है, तो ब्यूरोक्रेसी का प्रभाव बढ़ जाता है। बीजेपी की जमीनी कार्यकर्ताओं की शिकायत रहती है कि ब्यूरोक्रेसी में कार्यकर्ताओं समेत चुने गए प्रतिनिधियों का महत्व कम हो जाता है। यही योगी सरकार में हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि 17 दिसंबर 2019 में बीजेपी के 100 विधायकों ने अपनी सरकार के खिलाफ लखनऊ में धरना दिया था। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ का ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगना भी था। श्याम लाल यादव किताब में लिखते हैं कि बीजेपी के कुछ विधायक सवाल उठाने लगे कि योगी सरकार में ब्राह्मणों का एनकाउंटर हुआ। किताब में योगी के अलावा अन्य सीएम के बारे में भी बड़े-बड़े रहस्यों से पर्दा उठाया गया है।
यूपी में इस बार बीजेपी का निराशाजनक प्रदर्शन रहा, डिप्टी सीएम मौर्य चल रहे नदारद
उत्तर प्रदेश में इस बार बीजेपी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है, उसे 80 सीटों में से सिर्फ 33 सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई। कई बड़े मंत्री भी चुनाव हार गए, ऐसे में सवाल तो उठ रहे हैं, यूपी बीजेपी पर, सीएम योगी आदित्यनाथ पर और उनके दूसरे साथियों पर भी। अब जब से बीजेपी को यूपी में इतना बड़ा झटका लगा है, एक और बड़ी सियासी घटना घटित हो चुकी है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश की राजनीति से नदारद चल रहे हैं। हाल ही में वे दिल्ली में कई दिनों तक डेरा डाले रहे।
तल्ख रहे मौर्य और योगी के रिश्ते
मौर्य और सीएम योगी के रिश्ते समय-समय पर तल्ख भी रहे हैं। केशव प्रसाद मौर्य की मुख्यमंत्री बनने की चाह भी जगजाहिर हो चुकी है, इस बार तो क्योंकि यूपी में प्रदर्शन भी खराब रहा है, ऐसे में सीएम योगी पर हाईकमान की तरफ से ज्यादा दबाव है। उस दबाव के बीच दिल्ली में बीजेपी नेताओं से लगातार केशव प्रसाद मौर्य संपर्क साध रहे हैं।
यूपी बीजेपी के अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं मौर्या
ऐसी खबर है कि एक बार फिर मौर्य को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है, या फिर कोई अहम मंत्रालय भी यूपी सरकार में उन्हें मिल सकता है।
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यहां मिर्जामुराद के मेंहदीगंज में आयोजित किसान सम्मान सम्मेलन में मंगलवार को जब प्रधानमंत्री पहुंचे तब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य के उप मुख्यमंत्री द्वय केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी समेत कई प्रमुख नेताओं ने उनका स्वागत किया।
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