प्रकाश रांगड़/प्रताप प्रकाश पंवार, दयारा से लाइव
दयारा, उत्तरकाशी जिले में एक लोकप्रिय ट्रेकिंग और कैम्पिंग बुग्याली क्षेत्र है। 3639 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल पर वैसे तो कुदरत ने खूब खजाना लुटाया है, मगर सरकारी उपेक्षा के चलते मूलभूत विकास की महायोजना धरातल पर न उतरने से देश दुनिया में दयारा के कद्रदान खासे मायूस भी हैं।
दयारा 30 वर्ग किमी0 क्षेत्र में फैला है। वनस्पतियों, रंग बिरंगे बुग्याली फूलों और जीवों से समृद्ध मखमली क्षेत्र है। सुकून के साथ ही यहां स्थानीय स्तर पर रोजगार की खासी संभावनाएं मौजूद हैं। बस सुविधाओं की कमी के चलते जो रोजगार के साधन इस बुग्याल से सृजित किये जा सकते थे, वो हो नहीं पा रहा है।
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अपने तीन दिवसीय दयारा भ्रमण के दौरान हमने गंभीरता से मनन कर दयारा के विकास की आधारभूत सरंचना के क्रियान्वयन की योजना को विकसित करने की जरूरत को खासा महसूस किया है।
वर्षों से लंबित इस महायोजना के क्रियान्वयन के लिये सरकारी तौर पर अतीत के खट्टे मीठे अनुभवों को ध्यान में रखकर गंभीरता से सकारात्मक पहल करने की आवश्यकता है। राज्य निर्माण के पहले से ही लंबित इस महायोजना को मूर्त रूप देना आज की परिस्थिति में अति आवश्यक हो गया है।
इस बुग्याली क्षेत्र के विकास की पहल स्थानीय स्तर पर होती रही है। लगातार यहां उच्च अधिकारियों एवं मंत्रियों के अनेक दौरे देखने को मिले, लेकिन जिस सोच को साकार रूप देने का सपना इस क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीण वर्षों से देख रहे हैं, वो अभी भी अछूता ही है।
Photo: U Times
ट्रेक ऑफ ईयर भी घोषित हुआ दयारा, तस्वीर फिर भी नहीं बदली
पिछली सरकारों ने इसे टूरिज्म डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित करने के लिए "ट्रेक ऑफ द ईयर" घोषित करने के साथ-साथ आधार शिविर गांवों में होम-स्टे व आधुनिक होटल निर्माण के लिए सुलभ ऋण उपलब्ध कराने की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया था। जिसका स्थानीय स्तर पर लाभ भी मिला। किन्तु इसके वृहद स्वरूप की वर्षों से लंबित मांग आज भी जस की तस है। आमतौर पर यहां विकास की रुकावट वर्षों से दो आधार शिविर गांवों के आपसी विरोध के चलते दिखाया गया है, लेकिन जमीनी तौर पर आज का आम ग्रामीण यही चाहता है कि किसी भी तरह इस दिशा में सकारात्मक काम हो। साथ ही यहां विकासपरक योजनाएं संचालित कर रोजगार के अवसर सृजित किये जायें।
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सरकारी तौर पर दयारा बुग्याल के लिए एक वृहद पर्यटन सर्किट तैयार करने की जरूरत है। इसके अलावा वर्षों से लंबित दयारा बुग्याल रोप-वे योजना को आपसी समन्वय से स्थापित किया जाना भी अति आवश्यक है। इससे पहुंच आसान होने के कारण चारधाम को आने वाले तीर्थयात्री भी आसानी से दयारा की नैसर्गिक खूबसूरती से परिचित हो सकते हैं। बहरहाल इन दिनों दयारा बुग्याल का नजारा बेहद खूबसूरत है।
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