प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी
अनघा माउंटेन एसोसिएशन उत्तरकाशी की ओर से मंगसीर बग्वाल की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शहर के रामलीला मैदान में आज से तीन दिन तक मंगसीर बग्वाल की धूम रहेगी। मंगसीर बग्वाल में आज फिल्म अभिनेत्री मधुरिमा तुली भी बग्वाल कार्यक्रम में शामिल होंगी। मधुरिमा बीती रात उत्तरकाशी पहुंच चुकी है। मूल रूप से उड़ीसा की रहने वाली मधुरिमा का उत्तराखंड से जन्म का नाता है। दरअसल, 36 वर्षीय अभिनेत्री का जन्म 18 अगस्त 1987 को देहरादून में हुआ था और शुरुआती पढ़ाई भी यहीं से की। उत्तरकाशी में मधुरिमा का ननिहाल है। वैसे तो मधुरिमा कन्नड़, बॉलीवुड फिल्म्स और मॉडलिंग की दुनिया का चर्चित नाम है, लेकिन शायद आपको पता होगा कि वो पॉपुलर टीवी रियलिटी शो 2019-20 के बिग बॉस सीजन-13 की प्रतिभागी (contestant) रह चुकी हैं।
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इसी सीजन की वजह से मधुरिमा खासी चर्चित भी हुईं और लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रही। ये सीजन बिग बॉस शो के इतिहास के सबसे यादगार सीजन के रूप में गिना जाता है। जिसको बॉलीवुड भाईजान सलमान खान पिछले दस वर्ष से अधिक समय से होस्ट कर रहे हैं। उस वक्त सीजन-13 के विनर दिवंगत अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला थे, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। बिग बॉस सीजन आज घर घर में लोगों का पसंदीदा रियलिटी शो बन चुका है। जाहिर है, ऐसे में बिग बॉस कंटेस्टेंट का उत्तरकाशी आना यहां के लोगों के बीच अलग उत्साह का माहौल पैदा करता है।
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अभिनेत्री मुधरिमा के उत्तरकाशी आने की खबर के बाद उनके फैंस अभिनेत्री की एक झलक पाने को बेताब हैं। इसके अलावा रेडियो की दुनिया का चर्चित नाम आरजे काव्या (R J Kavya) भी बग्वाल कार्यक्रम का हिस्सा होंगे। पिछली बार भी काव्या मंगसीर बग्वाल कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
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इसलिए मनाई जाती है मंगसीर बग्वाल
सीमांत जनपद उत्तरकाशी के विभिन्न क्षेत्रों में दीपावली के ठीक एक माह बाद मंगसीर बग्वाल का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि गढ़वाल नरेश महिपत शाह के शासनकाल में तिब्बती लुटेरे गढ़वाल की सीमाओं में घुसकर लूटपाट करते थे। तब राजा ने माधो सिह भंडारी एवं लोदी रिखोला के नेतृत्व में चमोली के पैनखंडा और उत्तरकाशी के टकनौर क्षेत्र से गर्तांग गली नेलांग के रास्ते सेना भेजी।
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भोट प्रान्त दावाघाट (तिब्बत) में तिब्बती आक्रमणकारियों को पराजित करने के पश्चात विजयी होकर जब वीर माधो सिंह अपने सैनिकों के साथ वापस टिहरी रियासत में पहुंचे। तत्कालीन समय से ही विजयोत्सव के रूप में टिहरी रियासत (सकलाना, सम्पूर्ण जौनपुर, रवांईं, टकनौर, बाड़ाहाट, बाड़ागड्डी, धनारी, धौंत्री प्रतापनगर क्षेत्र) में मंगसीर बग्वाल मनाने की परंपरा चली आ रही है।
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