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पर्यावरणीय मानकों के चलते भटवाड़ी के स्याबा गांव में रोड निर्माण पर लगी रोक
ईको सेंसिटिव जोन मॉनिटरिंग के सदस्य निरीक्षण को पहुंचे गांव
प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी
भटवाड़ी ब्लॉक में पर्यावरणविदों की शिकायत पर लोंथरू, बयाणा-स्याबा मोटर मार्ग निर्माण पर रोक लगने के बाद ग्रामीण खासे नाराज हैं। ये नाराजगी तब खुलकर सामने आई, जब यहां आज मंगलवार को इको सेंसेटिव जोन मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य स्याबा गांव पहुंचे। टीम के दो सदस्य मोटरमार्ग के निरीक्षण को जैसे ही स्याबा गांव पहुंचे, सड़क पर लगी रोक को लेकर ग्रामीणों का दर्द छलक उठा।
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एक तरफ सड़क पर लगी रोक हटाने को ग्रामीण सदस्यों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे, दूसरी तरफ जिन पर्यावरणविदों की शिकायत पर गांव में रोड निर्माण रुक गया, उनके खिलाफ गुस्सा भी था। ऐसे में सदस्यों के सामने ग्रामीणों ने तथाकथित पर्यावरणविदों के खिलाफ जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया। हालांकि, मौके पर कमेटी के सदस्यों ने साफ किया कि गांव वालों के भले के लिए जो भी उचित होगा, किया जायेगा।
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कमेटी के सदस्य हेमंत पांडेय व मल्लिका भनोट स्याबा गांव पहुंचे थे। इस दौरान उनके साथ गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान, डीएम अभिषेक रूहेला, वन विभाग और पीएमजीएसवार्इ के अधिकारी भी मौके पर थे । निरीक्षण के दौरान इको सेंसेटिव जोन मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों को ग्रामीणों का आक्रोश का सामना भी करना पड़ा। गांव वालों का कहना था कि स्याबा गाँव की सड़क गांव से पहले 2 किलोमीटर और बननी है। इस बीच पर्यावरण से जुड़े लोगों ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में शिकायत कर कार्य पर रोक लगा दी।
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ग्रामीणों के साथ ही विधायक सुरेश चौहान का मानना है कि सड़क कटिंग में पेड़ों को जो नुकसान होना था, वह हो चुका है और अब सिर्फ 2 किमी कटिंग का कार्य होना है। ग्रामीणों ने जांच पर आई मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्यों के सामने खुलकर नाराजगी व्यक्त करते हुए शीघ्र ही रोड़ कार्य शुरू करवाने की मांग रखी। कमेटी के सदस्य हेमंत पांडेय ने ग्रामीणों से कहा कि गांव वालों के भले के लिए जो उचित होगा, जरूर किया जाएगा। जाहिर है, सड़क पर रोक लगने से डिडसारी, लोंथरू, बयाणा और स्याबा गांव निराश हैं।
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गांव वाले चाहते हैं कि हर हाल में रोड बने, लेकिन फिलहाल पर्यावरणीय मानक इसकी इजाजत नहीं देते, जिससे ग्रामीणों को अभी और इंतजार करना होगा। इंतजार मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट और सिफारिश का, और भारत सरकार के फैसले का रहेगा।
बहरहाल, मॉनिटरिंग कमेटी के हेमंत पांडेय ने जो कहा है कि गांव की भलाई को देखते हुए ही इस पर निर्णय लेंगे, उस पर उम्मीदें कायम हैं।
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