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टिहरी बांध की झील से धंस रही चिन्यालीसौड़ की जमीन, भूधंसाव से बढ़ी लोगों की टेंशन !

प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी

टिहरी बांध की झील से चिन्यालीसौड़ क्षेत्र में भूधंसाव के चलते लगातार जमीन धंस रही है। भूधंसाव से हवाई पट्टी के समीप नेशनल हाईवे समेत स्कूलों व आवासीय भवनों पर लंबी चौड़ी दरारें उभर आई हैं। इससे चिन्यालीसौड़ नगर क्षेत्र के साथ ही आसपास की बस्ती पर बड़े भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। 

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दरअसल, नगर पालिका परिषद चिन्यालीसौड़ क्षेत्र के अंतर्गत सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण हवाई पट्टी से ठीक नीचे लगभग 500 मीटर राष्ट्रीय राजमार्ग 94 पर पीपलमंडी, चिन्यालीसौड़, नागणीसौड़ व बड़ेथी तक का लगभग 5 किमी हिस्सा पर भूधंसाव से जगह-जगह लंबी चौड़ी दरारें उभर आई हैं। 

कई स्थानों पर आधा फुट तक जमीन धंसी है। जिससे हवाई पट्टी सहित यहां स्थित ऊर्जा निगम, वन विभाग, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित तमाम प्राइवेट व राजकीय विद्यालय भवन, बिजल्वाण मोहल्ला, चिन्यालीसौड़ बाजार, वाल्मीकि बस्ती, बड़ी-छोटी नागणी, हिटारा, पीपल मंडी, कृषि विज्ञान केंद्र, स्टेट बैंक पीडब्ल्यूडी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , ऊर्जा निगम कार्यालयों आवासीय भवनों सहित क्षेत्र के बहुत बड़े भू-भाग में बड़े भूधंसाव का खतरा मंडरा रहा है। इसके चलते लोगों में दहशत भी है। टिहरी बांध प्रशासन के साथ ही स्थानीय प्रशासन से लोगों से सुरक्षात्मक उपायों पर अमल करने की मांग की है। 

पूर्व पालिकाध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता सुमन बडोनी ने बताया कि चिन्यालीसौड़ नगर क्षेत्र की भूगर्भीय जांच की मांग को लेकर वे कई बार विभागीय अधिकारियों व डीएम से भी मिल चुके हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ। उनका कहना है कि यदि एक माह के अंतर्गत समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे शहर की सुरक्षा को सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।  

जनप्रतिनिधियों ने सुरक्षात्मक कार्य व भूगर्भीय जांच की मांग रखी 

नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष शूरवीर रांगड़, सामाजिक कार्यकर्ता सुमन बडोनी, मनोज कोहली भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष पूनम रमोला, प्रधान संगठन अध्यक्ष कोमलराणा, पूर्व प्रमुख रजनी कोटवाल, व्यापार मंडल अध्यक्ष कृष्णा प्रसाद नौटियाल, जिला महामंत्री अमित सकलानी, राकेश मेहरा, वीरेंद्र कोहली, विजय थपलियाल, खीमानंद बिजल्वाण, जिपंस अरविंद लाल, मदनलाल बिजल्वाण, उर्वीदत्त गैरोला आदि ने टीएचडीसी के अधिकारियों से भूधंसाव रोकने को जरूरी सुरक्षात्मक उपायों की मांग की है। साथ ही टीएचडीसी, पुनर्वास व शासन से झील से प्रभावित क्षेत्रों का शीघ्र भू गर्भीय जांच की मांग रखी।

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