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सदस्यता रद्द होने के बाद राहुल बोले, देश के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार, अब क्या हैं कानूनी रास्ते ?

नई दिल्ली (प्रकाश रांगड़/एजेंसी)

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की लोक सभा सदस्यता रद्द किए जाने के बाद देश की राजनीति गरमा गई है। 

इन सबके बीच राहुल ने अपनी सदस्यता रद्द होने के बाद सामने आकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं। मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं।’ बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता शुक्रवार को रद्द कर दी गई। लोकसभा सचिवालय की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई।

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दरअसल, राहुल को गुरुवार को सूरत की अदालत ने मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाई थी।

राहुल गांधी की ओर से 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में सूरत की अदालत ने उन्हें धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत दे दी। इसके साथ ही उन्हें तुरंत जमानत भी दे दी। इसके बाद उनकी लोक सभा की सदस्यता भी रद्द हो गई। इससे देश में अचानक सियासी माहौल खासा गरम हो गया है। 

ये तो विदित है कि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

इससे पहले 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने लोक-प्रतिनिधि अधिनियम 1951 को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने इस अधिनियम की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दे दिया था। इस प्रावधान के मुताबिक, आपराधिक मामले में (दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस सूरत में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। यानी धारा 8(4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करती थी। 

इन सबके बीच राहुल के सामने आगे कानूनी रास्ते क्या हैं, ये जानना भी जरूरी है

एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल की ओर से पूर्व एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल के सी कौशिक से आगे राहुल के कानूनी रास्ते पर विस्तार से बातचीत की गई। 

जिनके अनुसार, राहुल गांधी सूरत की कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

अगर हाईकोर्ट से वो बरी हो जाते हैं, या फिर उनकी सज़ा को कम कर दिया जाता है, तो भी खुद ब खुद उनकी सदस्यता फिर से बहाल नहीं होगी। इसके लिए राहुल गांधी को फिर से हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा।

कौशिक के मुताबिक, "मेरा मानना है स्पीकर खुद अपने ऑर्डर को रिव्यू नहीं करेंगे। वो किसी हाई कोर्ट या संविधान पीठ के फ़ैसले का इंतज़ार करेंगे।"

राहुल को अगर स्पीकर के फ़ैसले के ख़िलाफ़ राहत नहीं मिलती हैं, तो फिर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन्हें मानहानि के मामले में अपील करनी होगी और उन्हे स्टे नहीं मिला तो ये प्रक्रिया चलेगी और इस बीच वायनाड सीट पर चुनाव की घोषणा भी की जा सकती है।

कौशिक के मुताबिक, "यदि चुनाव आयोग सीट को खाली घोषित कर चुनाव की घोषणा करती है, तब एक तीसरा लिटिगेशन हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा है कि चुनाव आयोग के ऑर्डर को चैलेंज किया जा सका है।"

"लेकिन अगर रिटर्निंग ऑफ़िसर एक बार चुनाव का शेड्यूल जारी कर देता है, तो मुझे नहीं लगता कि कोई राहत हाईकोर्ट से मिल पाएगी।"

यानी कि अगर राहुल गांधी वहां चुनाव को रोकना चाहते हैं, तो जैसे ही चुनाव आयोग सीट को रिक्त घोषित करे, उन्हें हाईकोर्ट जाना होगा।

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