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पुरोला में महापंचायत टलने के बाद शांति बहाली की उम्मीद, टेंशन और चुनौतियां बरकरार

पिछले 21 दिनों से जारी गतिरोध थमने के आसार

पुरोला के इतिहास में पहली बार कथित लव जिहाद की घटना से राज्यभर में मचा बवाल 

 प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी

पुरोला में प्रस्तावित महापंचायत टल तो गई है, लेकिन टेंशन और चुनौतियां बरकरार है। हालांकि इस मामले को लेकर पिछले 21 दिन से जारी गतिरोध अब समाप्ति की ओर है। अब महापंचायत रोके जाने से तनाव और तनातनी से घिरे पुरोला में शांति बहाली की उम्मीद की जा रही है। 

हालांकि, जिस तरह स्थानीय लोगों और हिंदूवादी संगठनों ने महापंचायत कराने को लेकर खासा जोर लगाया और आगे महापंचायत की बात कही है, उसे देखते हुए सरकार और प्रशासन के समक्ष भविष्य में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखने की चुनौती भी रहेगी। 

देखा जाए तो पुरोला के इतिहास में पहली बार लव जिहाद की कथित घटना से राज्यभर में बवाल रहा। जाहिर है, ऐसे में दो संप्रदायों में तनाव की स्थिति अभी शांत नहीं हुई है। 

U Times, No.1

दरअसल, बीते 26 मई को पुरोला में नाबालिग भगाने के प्रयास का मामला सामने आया। स्थानीय लोगों के हंगामे के बाद आरोपियों को पकड़कर जेल भेजा गया। समुदाय विशेष के युवक द्वारा नाबालिग भगाने के प्रयास का ये मामला तूल पकड़ता दिखा और चौतरफा बवाल खड़ा हो गया। 

घटना के विरोध में कई दिनों तक स्थानीय लोग सड़कों पर उतर कर जुलूस प्रदर्शन करते रहे। बाजार बंद रखने का दौर जारी रहा। इस बीच पुरोला से समुदाय विशेष के लोगों की दुकानें खाली कराने और बाहरी लोगों के सत्यापन की मांग ने जोर पकड़ा। 

ये सब चल ही रहा था कि इस बीच घटना के कुछ दिन बाद पुरोला में समुदाय विशेष की दुकानों के आगे महापंचायत से पहले दुकानें खाली करने के धमकी भरे पोस्टर लग गए। हालांकि पुलिस ने रातों रात इन पोस्टर को हटा दिया, लेकिन पोस्टर वायरल होते ही पुरोला में समुदाय विशेष के लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया। 

लिहाजा, समुदाय विशेष के लोगों के रातों रात नगर छोड़कर चले जाने और दुकानें छोड़ने की खबरें सामने आने लगी। डर के कारण दुकानें खोलने से समुदाय विशेष के लोगों ने मना कर दिया। 

ऐसे में सरकार और प्रशासन की चिंता वाजिब भी थी कि अगर महापंचायत होती है तो क्षेत्र में शांति और कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। महापंचायत को टालने की कोशिशें हर स्तर पर तेज हुई, लेकिन कोई भी आयोजक खुलकर सामने नहीं आया। 15 जून को प्रस्तावित महापंचायत की चर्चाओं से सियासी हलकों में बवाल मचने के साथ ही दो समुदायों में तनाव का माहौल बढ़ता जा रहा था। महापंचायत को लेकर बाद में प्रधान संगठन आगे आया, लेकिन प्रशासन ने कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर इजाजत से साफ इनकार कर दिया। 

इसके बाद विहिप ने ठीक दो दिन पहले प्रशासन को ज्ञापन देकर महापंचायत का ऐलान कर दिया। जिससे प्रशासन के कान खड़े हो गए। अंतत:, माहौल बिगड़ने की आशंका पर पुरोला में धारा 144 लागू कर महापंचायत रोकनी पड़ी। इसके बावजूद हालांकि हिंदू संगठनों ने एकता का परिचय देकर सरकार और प्रशासन की नाक में खासा दम किया और आखिरी वक्त तक गिरफ्तारी देते हुए भी महापंचायत कराने पर अड़े रहे। 

अब जबकि पुरोला में कड़ी सुरक्षा के बीच 15 जून की महापंचायत को सफल नहीं होने दिया गया तो उम्मीद है कि आने वाले समय में पुरोला में शांति व्यवस्था बहाल हो जाएगी। धारा 144 हटाने पर प्रशासन विचार कर रहा है। इसके लिए स्थिति की समीक्षा में अधिकारी जुट गए हैं। जिसके बाद ही कोई फैसला लिया जाना है। 

चर्चाएं आगे महापंचायत कराने भी आ रही है। गुरुवार को नौगांव में सभा के दौरान यमुनाघाटी हिंदू जागृति संगठन के अध्यक्ष केशव गिरी महाराज ने प्रशासन को पहले ही सूचित कर 25 जून को बड़कोट में महापंचायत करने का ऐलान कर दिया।लिहाजा, पुरोला की घटना पर छिड़े बवाल को लेकर सरकार और प्रशासन की टेंशन कम नहीं हुई है। 

डीएम अभिषेक रूहेला का कहना है कि धारा 144 अभी नहीं हटेगी। स्थिति का जायजा लेने के बाद ही धारा हटाने पर विचार होगा। पुरोला में अभी सुरक्षा बल तैनात है और किसी प्रकार से माहौल बिगड़ने की कोशिश नहीं होनी दी जाएगी। 

अब राफ्ता-राफ्ता ही सही, देर सवेर पुरोला में शांति बहाली के आसार हैं।

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