प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी
सिलक्यारा सुरंग हादसा बाबा बौखनाग का प्रकोप बताया जा रहा है। सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों तक राहत एवं बचाव कार्य के सारे इंतजाम फेल होने के बाद बुधवार को निर्माण कंपनी एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों को बाबा बौखनाग की शरण में जाना पड़ा। जिसके बाद बौखनाग अवतरित हुए और कंपनी के अधिकारियों से हुई भूल चूक सुधारने को कहा।
U Times, No.1
कंपनी के अधिकारियों ने देवता से क्षमा याचना की। बताया जा रहा है कि यहां सुरंग निर्माण के दौरान सुरंग के मुहाने पर बौखनाग की लाल झंडी और श्रीफल मौजूद था, जिसे कंपनी के अधिकारियों ने हटवा दिया।
रोजाना पुजारी सुबह बासुकीनाग अथवा बौखनाग की पूजा अर्चना करते थे। इसके अलावा यहां काम करने वाले मजदूर भी सुबह शाम बासुकीनाग को प्रणाम कर सुरंग के अंदर प्रवेश करते थे। बौखनाग के उपासक गणेश प्रसाद बिजल्वाण कहते हैं कि कंपनी के अधिकारियों ने मंदिर हटाकर बड़ी भूल की है और भगवान बासुकीनाग की मानहानि की है। ऐसे में ये जो आपदा आई है, यह इसी का परिणाम हो सकता है।
सुरंग में गणेश प्रसाद पर अवतरित हुए बाबा बौखनाग ने इस बात का आश्वासन और आशीर्वाद भी दिया कि सभी मजदूर अंदर सुरक्षित हैं, उन पर किसी तरह की आंच नहीं आयेगी। सुबह लगभग 11.30 बजे सिलक्यारा के नजदीकी मंजगांव से बौखनाग के उपासक गणेश प्रसाद को घर पर जाकर बुलवाया गया। उन्होंने कहा कि सुरंग में पहले से मौजूद बाबा के मंदिर से छेड़खानी करना उचित नहीं था।
वरूणावत भूस्खलन के दौरान डूबने की कगार पर पहुंच गई थी श्रृंग कंपनी
इससे पूर्व वर्ष 2003 में जब वरूणावत भूस्खलन हुआ तो कार्यदाई संस्था श्रृंग कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कंपनी डूबने की कगार पर आ गई थी। वरूणावत लगातार दरक रहा था और सारे ट्रीटमेंट प्लान फेल होते जा रहे थे।
इस पर वरुणाघाटी के लोगों ने आराध्य कंडार देवता की पूजा अर्चना की सलाह कंपनी को दी थी, जिस पर कंपनी के अधिकारियों ने जिला मुख्यालय स्थित बाड़ाहाट में कंडार देवता का भव्य मंदिर बनवाया और उस के बाद कंपनी के सभी काम सफल हुए और ट्रीटमेंट प्लान भी सफल रहा। जो आज भी सुरक्षित है। इसके बाद सरकार की ओर से जारी बजट भी अवशेष रहा और इस पैसे को अन्य विकास कार्यों में खर्च किया गया।
0 टिप्पणियाँ
Please Leave a comment below in the box and share your feedback with us.