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उत्तराखंड में यूसीसी मंजूर, समान नागरिक संहिता के ये 12 प्राविधान जान लो, बस कुछ पढ़ने की ज़रूरत नहीं

 U Times, देहरादून

उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code 2024) विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ। यूसीसी बिल पास करने वाली उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली विधानसभा बन गई। अब बिल को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उसके बाद बिल राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड आजाद भारत का पहला राज्य बन जाएगा। 

वहीं, बिल पास होने के बाद उत्तराखंड विधानसभा सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।

उत्तराखंड विधानसभा के लिए 7 फरवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक रहा। समान नागरिक संहिता विधेयक पास करने के साथ ही उत्तराखंड विधानसभा ने यूसीसी बिल पास करने वाली देश की पहली विधानसभा का गौरव भी हासिल कर लिया है। इस ऐतिहासिक बिल ककी मंजूरी पर पूरे देश में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की खूब प्रशंसा भी हो रही है। बिल का समर्थन करने वाले हर किसी व्यक्ति की जुबान से इस वक्त जय जय धामी निकल रहा है।

ये 12 प्राविधान इस कानून के 

शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है।
पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूरी तरह से प्रतिबंधित।


सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।


वैवाहिक दंपत्ति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा। 


पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास ही रहेगी।
सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार देने का प्रावधान है।


मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक।


सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटी-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।


संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं। नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना गया है।


किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है. उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया है।


लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। पंजीकरण कराने वाले कपल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।


वहीं, लिव-इन रिलेशन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस कपल का जायज बच्चा ही माना जाएगा। उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।

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