लंबगांव से अनिल रावत/ राजन रांगड़ की रिपोर्ट।
प्रतापनगर क्षेत्र का बहुप्रतीक्षित डोबरा-चांठी पुल बनने के बाद लंबगांव-केदारनाथ वैकल्पिक रास्ते की दूरी लगभग 30 किमी घटने से तीर्थयात्रियों के लिए सफर आसान होगा। इस बार केदारनाथ के लिए लंबगांव रूट से तीर्थयात्रियों की अच्छी खासी तादाद निकलेगी। इससे लंबगांव क्षेत्र में भी पर्यटन कारोबार बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।

दरअसल, उत्तराखंड के टिहरी जिले के प्रतापनगर को जोड़ने वाला डोबरा-चांठी पुल नवम्बर 2020 में बनकर तैयार हुआ। 2022 में उत्तराखंड सरकार ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में दिल्ली में इस पुल की झांकी दिखाई थी। तब से इस पुल की लोकप्रियता और अधिक बढ़ गई है। इस बार चारधाम यात्री भी पुल को देखने के लिए उत्सुक हैं। चार धाम यात्रा हरिद्वार या ऋषिकेश से शुरू होती है। पहले यात्री यमुनोत्री धाम और फिर गंगोत्री धाम के दर्शन करते हैं। गंगोत्री धाम से केदारनाथ के लिए वैकल्पिक रास्ते हैं, इसमें एक रास्ता उत्तरकाशी से लंबगांव डोबरा चांठी होते हुए भी है। इस रास्ते से केदारनाथ की दूरी करीब 30 किलोमीटर कम भी है। यह दूरी डोबरा चांठी पुल बनने के बाद कम हुई है। खास बात यह है कि इस रूट से टिहरी झील का भी दीदार होता है। यह रूट 42 किलोमीटर क्षेत्र में फैली विशालकाय टिहरी झील से सटकर है। हम आपको डोबरा चांठी पुल की खासियत भी बताते हैं। इस पुल को देश का सबसे लंबा झूलापुल बताया जाता है। इसकी लंबाई 725 मीटर है और भारी वाहन चलने लायक है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 850 मीटर है और चौड़ाई सात मीटर है। पुल पर रंग-बिरंगी लाइटें लगी हैं। रात के समय झील के ऊपर रंग बदलता पुल का नजारा देखने लायक होता है। रात के समय लंबगांव की ओर से करीब 10 किलोमीटर तथा चंबा की ओर से लगभग 15 किलोमीटर दूर से ही स्कूल का सुंदर नजारा दिखाई देता है।

लंबगांव में बढ़ी रौनक
डोबरा चांठी पुल के बनने से लंबगांव में भी रौनक बढ़ी है। इस बार यात्रा अच्छी चलने से लंबगांव में भी यात्री बढ़ेंगे। नगर पंचायत अध्यक्ष भरोसी देवी रांगड़ ने बताया कि लंबगांव में यात्रियों की सुविधा के लिए शौचालय, पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था की गई है।
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