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उत्तरकाशी: पूर्व विधायक सजवाण ने रोड शो और जनसभा की, बीजेपी में राजनीतिक वर्चस्व कायम रखने की चुनौती

प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी

गंगोत्री क्षेत्र के पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण के पिछले दिनों दून में बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार उत्तरकाशी आगमन पर रोड शो और जनसभा कर अपने विरोधियों को साफ संदेश देने की कोशिश की है कि बीजेपी में आने के बाद उनके भविष्य की राजनीति ठीक उसी जोश और खरोश के साथ आगे बढ़ेगी, जैसे कांग्रेस में रहकर उन्होंने सियासी सफर को आगे बढ़ाया और संगठन में अच्छा खासा राजनीतिक वर्चस्व कायम रखा। 

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यह बात अलग है कि कांग्रेस में रहते गंगोत्री से दो बार विधायक बनने के बावजूद लगातार चुनाव भी हारे, लेकिन जमीन पर उनकी मजबूत पकड़ ने उनके समर्थकों में हर चुनाव में जीत की गारंटी की उम्मीद को कभी नहीं छोड़ा। 

अब जबकि वह बीजेपी में आ गए हैं, तो उसी पुराने अंदाज को बरकरार रखते हुए सियासी सफर को गति देंगे, इस बात का अंदाजा उनके विरोधियों को भाजपा में शामिल होने के बाद सजवाण के सियासी सुर्खियां बटोरने से भी लग गया होगा।

हालांकि, भाजपा का दामन थामने के बाद सजवाण को अपने सियासी सफर को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा। इसकी बड़ी वजह उनकी बढ़ती उम्र भी है। करीब 65 साल के भाजपा नेता सजवाण को बढ़ती उम्र में लंबी सियासी पारी खेलने के लिए पिच पर दमखम दिखाना बरकरार रखना होगा, अन्यथा बीजेपी में जाने पर कई दिग्गजों का राजनीतिक कैरियर हाशिए पर भी गया है, इस बात के दर्जनों उदाहरण भाजपा संगठन में मौजूद हैं। 

हालांकि, इस लोकसभा चुनाव और आने वाले समय में निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सजवाण के सियासी दांव पेंच बीजेपी में उनके भविष्य की राजनीतिक जमीन को उपजाऊ बनाने में मददगार साबित हो सकती है। 

वैसे देखा जाए, तो संगठन की रीड माने जाने वाले अधिकांश पुराने और नए चेहरे जिस तरह आज उनके स्वागत सभा में रहे, इससे संगठन में उनकी मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है। स्वागत सभा में दो बार पूर्व जिला अध्यक्ष रहे बुद्धि सिंह पंवार, जिला महामंत्री नागेंद्र चौहान, ज़िला उपाध्यक्ष हरीश डंगवाल, वरिष्ठ नेता जगमोहन सिंह रावत, ब्लॉक प्रमुख विनीता रावत, वरिष्ठ नेता बिहारी लाल, ललिता सेमवाल, युवा मोर्चा अध्यक्ष अमित सेमवाल आदि प्रमुख चेहरे दिखाई दिए, जो इस बात का संदेश है कि फिलहाल सजवाण बीजेपी में रहकर खुद को और विरोधियों को सियासी मैदान में कमजोरी का एहसास नहीं होने देंगे।  

उनके विधायकी के सियासी सफर पर नजर डाली जाए, तो दो बार गंगोत्री से विधायक चुने गए। वर्ष 2002 और 2012 में विजयपाल गंगोत्री से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने, जबकि 2007, 2017 और 2022 में कांग्रेस से चुनाव हार गए थे। 

वर्ष 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद विजयपाल अब तक लगातार सत्ता से दूर रहे। अब जबकि वह भाजपा में शामिल हो गए हैं तो सत्ता पक्ष में रहकर अपने अनुभव से फिलहाल एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी की जिम्मेदारियों को आगे बढ़ाने में लग गए हैं।

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