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युद्ध की गाथाओं से भरा पड़ा है हरियाणा राज्य का इतिहास

प्रकाश रांगड़, नई दिल्ली। हरियाणा राज्य का इतिहास काफी रोचक रहा है. हरियाणा के इतिहास के पन्ने ज्यादातर युद्ध की गाथाओं से भरे पड़े हैं. संघर्ष की दास्ताँ लिए सिमटे हरियाणा को प्राचीनकाल से ही युद्ध भूमि और धर्म भूमि के रूप में जाना जाता है. हिंदू धर्म का प्रमुख ग्रन्थ ऋग्वेद की उत्पति भी हरियाणा राज्य में ही हुयी. ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है, यानी प्रथम वेद है. जिसमें देवताओं की स्तुति की गयी है. देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये ऋग्वेद में बहुत सारे मंत्र हैं, जिनका उच्चारण करने पर देवी देवता सुफल देते है.
उस समय इस क्षेत्र में आर्य लोग यानी की ऋषि मुन्नी इन वेदों के महत्व को समझते थे और यज्ञ आदि कर्मकांडों में इनका मंत्रोच्चार करते थे. कौरव और पांडवों के बीच ऐतिहासिक महाभारत का युद्ध भी इसी धरती पर लड़ा गया था. महाकाव्य में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में महाभारत की लड़ाई का जिक्र मिलता है. यही वो जगह है, जहाँ भगवान् श्री कृष्णा ने महाभारत के युद्ध से पहले अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था और उन्हें महाभारत युद्ध के लिए तैयार किया था. इस राज्य में सबसे पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता का पता चलता है. सिंधु घाटी जितनी पुरानी कई सभ्यताओं के अवशेष सरस्वती नदी के किनारे पाए गए हैं. हरियाणा के बनावली और राखीगढ, जो अब हिसार में है, सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा रहे हैं. पूर्व में हुयी खुदाई से ये भी पता चलता है की प्राचीन वैदिक सभ्यता भी सरस्वती नदी के तट के आस पास फली फूली. दोस्तों, महाभारत काल में भारत में कई प्रतापी राजा हुए. उनमें राजा भरत का नाम भी आता है. भारत को समृद्ध बनाने में राजा भरत का बड़ी भूमिका रही. राजा भरत कौरवों के वंशज थे, जिनके वंशज आज भी भारतवंशी के नाम से जाने जाते हैं. हरियाणा क्षेत्र आज से हजारों साल पहले वीर भरत वंशियों के साम्राज्य का केंद्र हुआ करता था, भरतवंशियों के नाम पर ही आगे चल कर पूरे राष्ट्र का नाम 'भरत' यानी भारत पड़ा. तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक यह क्षेत्र मौर्य साम्राज्य के अधीन था. मौर्या साम्राज्यकल को उस समय का स्वर्णयुग भी कहा जाता है. इसके बाद यूनानी शासक सिकंदर महान ने 326 इसा पूर्व में भारत पर आक्रमण किया और हरियाणा समेत भारत के कई प्रांतों पर कुछ वर्षों तक अपना शासन किया. 15वीं  शताब्दी में मुगलों ने इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर इसे अपने अधीन कर लिया था. इतिहास के सबसे बड़े और खूंखार पानीपत के तीन युद्ध भी इसी राज्य की भूमि पर लड़े गए. ये युद्ध 1526  से 1761 के दौरान मुग़लों और मराठों के बीच लड़े गए. 18वीं सदी आते आते में हरियाणा पर ब्रिटिश शासकों ने अपना शासन जाम लिया था, लेकिन 1857 की क्रांति में हरियाणा के लोगों ने ब्रिटिश शासन का विरोध कर अंग्रेजों को हिला दिया था, जिसके बाद ब्रिटिश शासन ने हरियाणा को 1858 में हरियाणा को पंजाब राज्य में मिला दिया था. आखिरकार 1947 को समूचे भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली, लेकिन आगे कुछ वर्षों तक पंजाब राज्य का ही हिस्सा बना रहा. हरियाणा को अलग राज्य बनाने की मांग यहाँ के लोगों ने देश आज़ादी के दौरान ही कर दी थी, लेकिन बाद में यहाँ के लोगों ने इस मांग को और तेज कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप एक नवंबर 1966 हरियाणा पंजाब से अलग होकर नया राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया था. धन्यवाद.

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