U Times, उत्तरकाशी
जनपद पुलिस ने मोरी में हुए ब्लाइंड मर्डर केस का पर्दाफाश किया है। मोरी के खरसाड़ी गांव में नेपाली मूल के दो लोगों ने चीड़ की फट्टी से वार कर एक 42 वर्षीय व्यक्ति के शव को केदार गंगा में फेंक दिया था।
एसपी अर्पण यदुवंशी ने बुधवार को मर्डर की पूरी कहानी से वाकिफ कराया और गिरफ्तार दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया है। साथ ही पुलिस टीम को पांच हजार रूपए का नगद पुरस्कार दिया।
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एसपी यदुवंशी ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि बीती 26 जुलाई को प्यारी देवी निवासी खरसाडी, मोरी ने थाना मोरी में अपने पति गिरवीर सिंह की हत्या की आशंका पर तहरीर दी थी।
जिसके अनुसार, 24 जुलाई 2024 को मृतक अपने खेतों की देखभाल को पोल्हाडी नामक तोक गया था। उसी दौरान सुधीर चड्ढा एण्ड कम्पनियों के कर्मचारियों द्वारा उसके पति के साथ मारपीट कर हत्या कर दी गई। जिसका शव 25 जुलाई को केदार गंगा नामक गदेरे से बरामद हुआ। मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने जांच पड़ताल की।
अभियोग की विवेचना थानाध्यक्ष पुरोला मोहन सिंह कठैत को सौंपी गई। 30 जुलाई को पुलिस ने 35 वर्षीय वीर बहादुर और 40 वर्षीय प्रेम बहादुर निवासी नेपाल को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया और आज न्यायालय के समक्ष पेश किया है।
आरोपियों ने ऐसे दिया वारदात को अंजाम, पुलिस भी हैरान
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि मृतक गिरवीर 24 जुलाई को खरसाडी के पोल्हाडी तोक स्थित उनके डेरे में गलत नियत से जबरन घुस गया था, जिससे उनके बीच मारपीट हो गयी। मारपीट के दौरान गिरवीर डेरे से भाग गया।
करीब 200 मीटर के भागने के बाद वीर बहादुर व प्रेम बहादुर पीछा करते हुये खरसाडी पुल के पास उक्त व्यक्ति को पकड़कर व्यक्ति के सिर पर चीड़ की फाड़ी हुयी लकड़ी से वार किया। जिससे वह बेहोश होकर नीचे गिर गया था।
दोनों हत्यारोपियों को लगा कि यदि यह जिन्दा बच गया तो गांव वालों को बता देगा, इसलिये उन्होंने बेहोशी की हालत में व्यक्ति को पुल से नीचे केदारगंगा में फेंक दिया। सबूत मिटाने के लिये उन्होंने बेहोश व्यक्ति के शरीर से कपड़े उतार दिए। कपड़े, मोबाईल और जिस लकड़ी से मारा था को केदारगंगा में फेंक दिया।
अभियुक्त गणों की निशानदेही पर पुलिस द्वारा मृतक गिरवीर सिंह द्वारा घटना के दौरान पहनी पैन्ट को खरसाडी पुलिस की नीचे से बरामद किया गया है। पत्रकार वार्ता में सीओ प्रशांत कुमार, एसओ मोहन कठैत, एसएचओ कोतवाली उत्तरकाशी अमरजीत सिंह भी रहे।
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