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जब संत दुखी होते हैं, भगवान अवतार लेते हैं: मुरलीधर

 

 


 

उत्तरकाशी

 
उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में चल रहे नौ दिवसीय अष्टादाश महापुराण के चौथे दिन राम कथा प्रवचन करते हुए संत मुरलीधर महाराज ने कहा कि धरती पर जब ब्राह्मण, धेनु तथा संत दुखी होते हैं तब-तब भगवान का अवतार होता है।
मंगलवार को कथा प्रवचन करते हुए संत मुरलीधर ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के बालकांड में वर्णित भगवान राम के जन्मोत्सव का वर्णन किया। कथा में जब भए प्रगट कृपाला दीन दयाला तथा अवध में आनंद भयो.. आदि भजनों पर श्रोता खुशी व उमंग से झूम उठे। वहीं गीतावली व कवितावली के मांगलिक गीतों तथा लोक संस्कृति के विभिन्न गीतों पर श्रोता भाव विभोर होकर खूब झूमे। 

 


 महाराज ने कहा कि जिनके ह्रदय में भगवान है वह व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता। इस मौके पर कथा के मुख्य यजमान हरिशंकर नौटियाल, रूक्मणी नौटियाल, अष्टादश पुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा महासचिव रामगोपाल पैन्यूली, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, व्यवस्थापक घनानंद नौटियाल, रामकृष्ण नौटियाल, जीतवर, सिंह नेगी, गीता गैरोला, सभासद सविता भट्ट, डॉ द्वारिका प्रसाद नौटियाल, सुरेश चंद्र भट्ट गोल्ड मेडलिस्ट, माधव प्रसाद शास्त्री, रविंद्र नौटियाल, पृथ्वी दत्त नैथानी, मानस प्रेमी, चंद्रप्रकाश बहुगुणा आदि मौजूद रहे

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