उत्तरकाशी :
उत्तरकाशी के रामलीला मैदान में चल रहे नौ दिवसीय अष्टादश महापुराण का प्रवचन करते हुए संत मुरलीधर महाराज ने कहा कि आज इंसान अहंकार की भावना से त्रस्त है। इसलिए आज के समय में ईश्वर के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि भीतर का अहंकार छूटे बिना भक्ति संभव नहीं है। अहंकार छूटते ही भक्त पैदा होता है।
कथावाचक संत मुरलीधर महाराज ने सातवें दिन गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के बालकांड में सीता स्वयंवर प्रसंग के तहत धनुष भंग का वर्णन किया। कथा प्रसंग के माध्यम से महाराज ने कहा कि सीता भक्ति तथा धनुष अहंकार का प्रतीक है। यदि हम भक्ति रूपी सीता को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे मन में बसे अहंकार रुपी धनुष को भंग करना होगा। इस अवसर मुख्य यजमान डॉ हरि शंकर नौटियाल, रुकमणी देवी, हरि सिंह राणा, सुभाष सोनी, राजेंद्र रावत, आनंद प्रकाश भट्ट, जीतवर सिंह नेगी, चंद्रशेखर भट्ट, गजेंद्र सिंह मटोडा, अमर प्रेम सिंह चौहान सहित अनेक भक्त श्रद्धालु उपस्थित थे।
दूसरी ओर कथा स्थल पर जिलेभर से 70 से अधिक विभिन्न देवी देवताओं की देव डोलियां विराजमान हैं। सैकड़ों संख्या में भक्त हर रोज अष्टादश महापुराण का श्रवण करने के साथ ही एक स्थान पर विभिन्न देव डोलियों के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में 22 विद्वान पंडितों की सानिध्य में सुबह शाम अतिरूद्र महायज्ञ चल रहा है। जिससे पूरी काशीनगरी भक्तिमय नजर आ रही है।
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