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एवलांच हादसा: सदियों तक सालता रहेगा एवलांच त्रासदी का जख्म, 10 और शव परिजनों के सुपुर्द

प्रकाश रांगड़,  उत्तरकाशी

उत्तरकाशी जिले के द्रौपदी डांडा टू में हुई एवलांच त्रासदी हमेशा उत्तराखंड के जेहन में ताजा रहेगी। गत मंगलवार को जब डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में एवलांच  हादसे की खबर मिली, तो किसी ने नहीं सोचा था कि 29 जानें जाएंगी। हालांकि इनमें से दो अभी भी लापता हैं, लेकिन अब उनके जिंदा होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ये एक ऐसी त्रासदी है, जिसने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में कई घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझा दिए। उत्तराखंड में हुई इस घटना ने एक झटके में पूरे देश को हिला कर रख दिया। पर्वतारोहण के क्षेत्र में इसे हमेशा काला अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। 

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 इस घटना में न सिर्फ पर्वतारोहियों की जान गईं, बल्कि उन सपनों की भी मौत हुई है, जो साहस और रोमांच की दुनिया में कदम रखने को उत्साहित थे। इन सबके बीच अब तक 21 पर्वतारोहियों के शव  परिजनों को सुपुर्द किए जा चुके हैं। घटना के बाद हर किसी परिजन को आस थी कि शायद उनका कोई अपना जरूर मौत से दो दो हाथ करके इस दुर्भाग्य को बताने के लिए जिंदा रह सकेगा, लेकिन नीयती ने उन्हें ऐसा नसीब नहीं होने दिया। आज जब अपनों की लाशें सामने थीं, तो आंसुओं का सैलाब भी उमड़ रहा था। सोमवार को जब सभी बरामद शव मातली हेलीपैड पहुंचाए जाएंगे, तो परिजनों के आंखों में फिर आंसुओं का सैलाब होगा। अपनों के लिए जो सपने देखे और दिखाए थे, उन यादों को सीने से लगाने के, सिवाय और कुछ भी पास ना होगा।

Photo 👆: रविवार को मातली हेलीपैड में परिजनों को सांत्वना देते विधायक सुरेश चौहान व डीएम अभिषेक रूहेला। 

हिमस्खलन: दस और पर्वतारोहियों के शव मातली हेलीपैड लाए गए


द्रौपदी डांडा टू में एवलांच हादसे में मारे गए 10 और पर्वतारोहियों के शव डोकरानी बामक ग्लेशियर के एडवांस बेस कैंप से मातली हेलीपैड लाए गए। अब तक 27 बरामद शवों में से 21 पर्वतारोहियों के शव मातली हेलीपैड लाए जा चुके हैं। 6 पर्वतारोहियों के शव अभी भी बेस कैंप में ही मौजूद हैं। रविवार को द्रौपदी डांडा इलाके में बारिश और हल्की बर्फबारी हुई, जिस कारण हेलीकाप्टर से सभी शव नहीं पहुंचाए जा सके। घटनास्थल पर दो पर्वतारोहियों की तलाश अभी भी जारी है। वहीं, मातली हेलीपैड पर पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडिंग ऑफिसर शुभम सिंह के तिरंगे से लिपटे शव को सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

रविवार डोकरानी बामक एडवांस बेस कैंप से पर्वतारोही रक्षित बैंगलोर (कर्नाटक), सतीश रावत निवासी चम्बा टिहरी गढ़वाल, अमित कुमार प. बंगाल, अतुनधर दिल्ली, गोहिल अर्जुन सिंह गुजरात, अंशुल कैंथला शिमला हिमाचल प्रदेश, विक्रम कर्नाटक, कमांडिंग ऑफिसर शुभम सिंह, निवासी कानपुर यूपी, कपिल पंवार उत्तरकाशी, नरेन्द्र सिंह निवासी पौड़ी का शव मातली हेलीपैड लाया गया। जहां परिजनों ने शवों की शिनाख्त की। शिनाख्त के बाद पंचनामा और पोस्टमार्टम की कार्रवाई की गई। पोस्टमार्टम होने के बाद पर्वतारोहियों के शव परिजनों को सुपुर्द किए गए।

 सीएमओ केएस चौहान ने बताया कि सभी पर्वतारोहियों की मौत क्रेवास में दबने के बाद दम घुटने से हुई है। गंभीर चोटें किसी के शरीर पर नहीं थी।

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