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उत्तरकाशी जिले से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिंद्रिया लाल नहीं रहे, शोक की लहर

U Times, उत्तरकाशी

उत्तरकाशी जिले से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिंद्रिया लाल राही का निधन हो गया है। उन्होंने देर शाम बंदरकोट स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। सौ वर्ष की आयु पार कर चुके चिंद्रिया लाल लंबे समय से बीमार चल रहे थे। जिसके चलते बीते 4-5 दिसम्बर को उनको देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनका उपचार चल रहा था। इस बीच बीते 25 दिसंबर को परिवार के लोग उन्हें उत्तरकाशी के बंदरकोट स्थित बेटे के आवास पर लाए थे। उनके निधन पर पूरे जिले में शोक की लहर है। 

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आजादी की लड़ाई लड़ने और समाज के लिए अतुलनीय कार्य करने वाले जनपद के एकमात्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिंद्रिया लाल ने बुधवार देर शाम 5 बजकर 55 मिनट पर बंदरकोट में आखरी सांस ली। 

चिंद्रियालाल के नाती जय प्रकाश ने बताया कि उनके दादाजी पिछले काफी समय से बीमार थे और देहरादून के दून अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें 25 दिसंबर को बंदरकोट में चाचा चिरंजी राही के घर में ले आए थे। 

उनके निधन पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान, पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवान, यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल, विधायक दुर्गेश्वर लाल, ज़िला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजलवान, डीएम अभिषेक रूहेला, एसपी अर्पण यदुवंशी आदि ने शोक जताया है। 

डुंडा के जुणगा गांव में जन्मे थे 

उत्तरकाशी जनपद के डुंडा ब्लाक के जुणगा गांव निवासी चिन्द्रियालाल का जन्म जुलाई 1927 को हुआ। कक्षा चार तक पढ़े चिन्द्रियालाल राजशाही के खिलाफ प्रजातंत्र के आंदोलन में 1944 में शामिल हुए। उसी दौरान श्रीदेव सुमन की टिहरी जेल में मौत हुई थी। उसी दौरान चिन्द्रिया लाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नत्था सिंह कश्यप, राम चन्द्र उनियाल, परिपूर्णानंद पैन्यूली, त्रेपन सिंह नेगी के सम्पर्क में आये। प्रजातंत्र के आंदोलन का संदेश चम्बा कद्दू खाल से लाते समय धरासू के पास राजशाही की हकूमत ने उन्हें पकड़ कर गिरफ्तार किया। यही नहीं चिन्द्रिया लाल के घर और जमीन की कुर्की की गई। लेकिन चिन्द्रिया लाल ने उसके बाद भी हार नहीं मानी और राजशाही का तख्तापलट तक आंदोलन से जुड़े रहे।

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