U Times, देहरादून
जिले में चीन सीमा पर स्थित जादूंग गांव 62 साल बाद फिर से आबाद होगा, जिसे उस वक्त युद्ध के कारण खाली कराया गया था। बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला किया गया। जादूंग गांव के मूल निवासी अब अपनी जमीन पर होम स्टे का निर्माण कर सकेंगे। सरकार होम स्टे निर्माण के लिए शत प्रतिशत वित्तीय मदद देगा।
दरअसल, जादूंग गांव में स्थानीय लोगों को वर्ष 1962 में चीन से युद्ध के दौरान हटा दिया गया था। युद्ध के दौरान और बाद में सेना और आईटीबीपी आगे आ गई थी और स्थानीय लोगों को पीछे हटा दिया गया था। जबकि उस क्षेत्र की जमीनें आज भी स्थानीय लोगों के नाम पर ही हैं। स्थानीय लोग लंबे समय से सरकार से इन क्षेत्रों में लौटने की मांग कर रहे थे। यहां आवास, पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही कृषि गतिविधियों को भी शुरू किए जाने की मंजूरी मांगी गई थी। इस पर कैबिनेट ने बुधवार को पर्यटन गतिविधियां शुरू करने की मंजूरी प्रदान की।
मुख्य सचिव डा. एसएस संधु ने बताया कि उत्तरकाशी में जादूंग गांव वाइब्रेंट विलेज है। इस गांव के मूल निवासियों को यहां होम स्टे निर्माण, संचालन का अधिकार दिया जाएगा। इसके लिए उन्हें पर्यटन विभाग की होम स्टे योजना में मिलने वाली वित्तीय मदद से हट कर इस काम के लिए शत प्रतिशत वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
पीएम मोदी ने दिया था घर वापसी का भरोसा
अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष भवान सिंह ने बताया कि वर्ष 2018 के नवम्बर माह में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर्षिल आए तो उन्होंने भारत चीन सीमा सहित नेलांग व जादुंग का हवाई सर्वेक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने हर्षिल में ग्रामीणों से मुलाकात कर पुनः घर वापसी का भरोसा दिया था।
2015 में पर्यटकों के लिए खोली गई नेलांग घाटी
वर्ष 2015 में तत्कालीन सरकार ने नेलांग घाटी को पर्यटकों के लिए खोला था। लेकिन उस समय यहां कहीं भी पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था नहीं होने से आवाजाही ज्यादा नहीं बढ़ पाई थी। क्षेत्र में सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत स्नो लैपर्ड ट्रेल शुरू करने की भी तैयारी है। जिला विकास अधिकारी जय किशन ने बताया कि सरकार ने इन गांवों को पुन: आबाद करने की कवायद तेज की है। यहा बनने वाले होम स्टे का भवन स्वामी खुद संचालन करेंगे। इसके बाद यहां पर्यटक व ग्रामीण निवास कर सकेंगे।
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