प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी
पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण और मालचंद के बीजेपी में शामिल होने पर जिले के भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर छाई है।
इसी खुशी की प्रतिक्रिया में देखा जाए तो गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने भी बीजेपी ज्वाइन करने वालों का पार्टी में स्वागत किया, लेकिन पार्टी में शामिल दिग्गजों के नाम लेने से परहेज करते भी दिखे। विजयपाल हो या मालचंद दोनों का नाम लिए बिना विधायक सुरेश ने बीजेपी ज्वाइन करने वालों का स्वागत किया।
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गंगोत्री विधानसभा की ही बात करें, तो उत्तरकाशी के प्रभावशाली नेताओं में से एक विजयपाल के भाजपा में शामिल होने पर विधायक सुरेश ने उनका सार्वजनिक तौर पर नाम लेकर खुलकर स्वागत तक नहीं किया। ऐसे में विजयपाल के चाहने वाले विधायक सुरेश की जुबां से विजयपाल का नाम लेकर स्वागत के दो शब्द सुनने को तरस गए। इतना ही नहीं विधायक सुरेश दिग्गज के दून में बीजेपी ज्वाइनिंग कार्यक्रम में भी नहीं थे।
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इससे विजयपाल और सुरेश के बीच एक दूसरे से दूरी बनाने के राजनीतिक संबंधों का अंदाजा भी लग जाता है। हालांकि, अब दोनों एक ही पार्टी में है और भविष्य में दोनों के राजनीतिक संबंध कैसे होंगे, ये तो अभी कहना मुश्किल है, चूंकि दोनों ही दिग्गज गंगोत्री विधानसभा में प्रभावशाली नेता हैं और जमीन से जुड़े हुए हैं, लेकिन चुनाव की जब बात आती है, तो इनसिक्योरिटी पैदा होनी स्वाभाविक है।
हालांकि, अभी विधानसभा चुनाव बहुत दूर हैं। 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। तब राजनीतिक हालात क्या बनते हैं, ये फिलहाल भविष्य के गर्त में है। फिलवक्त, अभी लोक सभा चुनाव के साथ ही आने वाले समय में नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं, जिसमें दिग्गजों के चुनावी दांव पेंच दोनों की भविष्य की राजनीतिक जमीन को और ज्यादा खाद-पानी देने का काम करेगा।
लेकिन, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि विजयपाल हो या सुरेश, भविष्य में दोनों ही फिर पार्टी में टिकट की दावेदारी हो या फिर किसी न किसी रूप में आमने सामने होंगे। आमने सामने न भी हों, तो भी विधानसभा के चुनावी समीकरणों पर खासा असर डालने का माद्दा रखते हैं। आज भले ही गंगोत्री विधान सभा में दोनों ही दिग्गज बीजेपी में हैं, लेकिन कभी दोनों कांग्रेस पार्टी में थे और एक दूसरे के बीच अच्छे राजनीतिक संबंधों के लिए जाने जाते थे।
ये बात अलग है कि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में सुरेश चौहान ने कांग्रेस से टिकट न मिलने पर बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ा और विजयपाल के सामने प्रतिद्वंदी के रूप में आ खड़े हो गए थे, जिससे दोनों के राजनीतिक संबंधों में खटास पैदा हो गई थी।
हालांकि, विजयपाल विधायक बन गए थे। इसके कुछ साल बाद सुरेश ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। अब दोनों बीजेपी में हैं और अपने ढंग से राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाने में लग गए हैं।
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