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गंगोत्री-यमुनोत्री में पहले दिन भारी जाम की स्थिति, धामों में सीमित संख्या को यात्रियों ने ठहराया सही

U Times, उत्तरकाशी/बड़कोट 

शुक्रवार को यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज हुआ। यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने पर पहले दिन ही पड़ावों पर जाम की स्थिति रही, इससे यात्रियों के साथ ही स्थानीय राहगीर खासे परेशान रहे। ये हाल तब हैं, जबकि दोनों धाम में सरकार ने यात्रियों की सीमित संख्या निर्धारित की है। 

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फोटो: यमुनोत्री यात्रा पड़ाव 

यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के पहले दिन बड़ी संख्या में यात्रियों के पहुंचने से जानकीचट्टी से लेकर हनुमानचट्टी तक वाहनों का भारी दबाव रहा। जिस कारण शुक्रवार को शाम के दौरान यमुनोत्री धाम जाने वाले वाहनों को पालीगाड़ में रोक दिया गया। साथ ही पैदल मार्ग पर भी यात्रियों के भारी ट्रैफिक को देखते हुए तथा यमुनोत्री धाम क्षेत्र में बारिश होने के कारण पुलिस ने एहतियातन पैदल यात्रियों को भी शाम के दौरान जानकीचट्टी में रोक दिया।

पैदल मार्ग पर भी यात्रियों के भारी ट्रैफिक को देखते हुए तथा यमुनोत्री धाम क्षेत्र में बारिश होने के कारण पुलिस ने एहतियातन पैदल यात्रियों को भी शाम के दौरान जानकीचट्टी में रोका। 

बड़कोट प्रभारी निरीक्षक संतोष सिंह कुंवर ने बताया कि जानकीचट्टी में वाहनों के भारी दबाव को देखते हुए शाम के दौरान पालीगाड़ में यात्री वाहनों को रोका गया है। 

फोटो: गंगोत्री यात्रा पड़ाव 

इसी तरह गंगोत्री धाम के यात्रा पड़ाव गंगनानी से एक किमी पीछे लंबा जाम रहा। हालांकि ये जाम ज्यादा देर नहीं रहा, लेकिन यात्रियों को भारी परेशानी हुई। ऐसे में कुछ यात्रियों से पूछने पर उन्होंने धामों में सरकार के सीमित संख्या के फैसले को सही बताया। 

गुजरात से आए यात्री नीलिमा बेन, दिल्ली के यात्री सतीश सक्सेना आदि ने बताया कि यहां की भौगोलिक परिस्थिति बिल्कुल अलग है। सरकार ने जो भी फैसला लिया है, सोच समझकर ही लिया होगा। सीमित संख्या में यात्री आएंगे तो भगदड़ वाली स्थिति नहीं रहेगी। 

लूट खसोट पर भी अंकुश लगेगा, जो कि सीमित संख्या की बाध्यता से पहले काफी बार सुनने में भी आया। यात्रियों का कहना था कि सीमित संख्या के बावजूद भी धामों में जाम जैसी स्थिति, शौचालय सुविधा इत्यादि की स्थिति ठीक नहीं दिखी। सरकार ने जो फैसला लिया है, कुछ गलत नहीं किया है।

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