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हरिद्वार: शांतिकुंज में गायत्री जयंती-गंगा दशहरा का महापर्व उत्साहपूर्वक मना, सेवा भाव की मिसाल बने स्वयंसेवक

चंद्र प्रकाश बहुगुणा, हरिद्वार

अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री महामंत्र सद्ज्ञान का बीज है। इसे प्राप्त करने और समझने के लिए साधक को सद्गुरु की शरण में जाना आवश्यक है। गायत्री महामंत्र केवल जप करने का माध्यम नहीं, बल्कि यह एक बहुआयामी सूत्र है, जिसमें जीवन का सम्पूर्ण सार समाहित है। यह मंत्र साधक को ज्ञान, प्रेरणा एवं आत्मबोध की ओर अग्रसर करता है।

वे शांतिकुंज में आयोजित गायत्री जयंती महापर्व के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्ति के दो मार्ग हैं - एक है मनोयोगपूर्वक गायत्री महामंत्र की साधना, और दूसरा है निष्काम भाव से की जाने वाली सेवा। स्वामी विवेकानंद एवं परम पूज्य युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के जीवन से अनेक प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बताया कि गायत्री साधना और निष्काम सेवा कार्यों के माध्यम से जीवन को महान बनाया जा सकता है। यह समय आत्मविश्लेषण, आत्मसंवर्धन और युगधर्म के पालन का उत्तम अवसर है। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में आध्यात्मिक अनुशासन, सेवा और ज्ञानार्जन को स्थान देने के लिए प्रेरित किया। 

संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि गायत्री महामंत्र के तीन चरण हैं-उपासना, साधना व आराधना।   ये तीनों ही जीवन को उच्चतर दिशा देने वाले साधन हैं। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र का लयबद्ध, तालबद्ध और मनोयोगपूर्वक जप करने से अंतःकरण की शुद्धि होती है और अनेक सिद्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं। 

उन्होंने ऋषि विश्वामित्र, युगऋषि पूज्य आचार्यश्री आदि के जीवन प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी गायत्री साधना ने उन्हें महान उपलब्धियाँ प्रदान कीं, जो आज भी सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। श्रद्धेया शैलदीदी ने गंगा दशहरा एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर सभी से प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा तथा गंगा सहित समस्त नदियों के संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया।

इस दौरान गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने मत्स्य महापुराण, विष्णु महापुराण, मां की संस्कारशाला आदि पुस्तकों सहित युगऋषिद्वय की अमृतवाणी, उपदेशों, शांतिकुंज डाक्यूमेंट्री तथा प्रज्ञागीतों को समेटे पेन ड्राइव आदि का विमोचन किया।

इससे पूर्व पर्व पूजन का वैदिक कर्मकाण्ड संस्कार प्रकोष्ठ के आचार्यों ने सम्पन्न कराया, तो वहीं गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने पूज्य आचार्यश्री के प्रतिनिधि के रूप में शताधिक नये साधकों को गायत्री महामंत्र की दीक्षा दी। पर्व के अवसर पर शांतिकुुंज के आचार्यों ने नामकरण, अन्नप्राशसन, मुण्डन, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत, विवाह सहित विभिन्न संस्कार बड़ी संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये। सायंकालीन ब्रह्मवादिनी बहिनों ने विराट दीप महायज्ञ का संचालन किया। गायत्री परिवार ने अपने आराध्यदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्यजी की ३४वीं पुण्यतिथि को संकल्प दिवस के रूप में मनाते हुए उनके बताये सूत्रों को स्वयं पालन करने एवं दूसरों को प्रेरित करने की शपथ ली। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के मौके पर एक-एक पौधे लगाने के लिए परिजनों को संकल्पित कराया गया।


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सेवा भाव की मिसाल बने गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज के नन्हें सेवक

गायत्री जयंती महापर्व के अवसर पर जहां एक ओर शांतिकुंज परिसर में विविध आध्यात्मिक कार्यक्रमों की गूंज रही, वहीं दूसरी ओर गायत्री विद्यापीठ शांतिकुंज के स्काउट-गाइड के बच्चों ने अपनी निःस्वार्थ सेवा से श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया। देश-विदेश से पधारे हजारों श्रद्धालुओं के स्वागत व सत्कार में जुटे इन बाल सेवकों ने दिनभर ठंडा जल पिलाकर न केवल अपनी जिम्मेदारी निभाई, बल्कि अतिथि देवो भवः की भारतीय परंपरा को भी जीवंत किया।

बच्चों ने कहा कि ये सभी हमारे अतिथि हैं, तो उनकी सेवा व सहयोग हमारा दायित्व है। उनके इस भावपूर्ण उत्तर ने कई श्रद्धालुओं की आँखें नम कर दीं। श्रद्धालुओं ने बच्चों की अनुशासनप्रियता, विनम्रता और सेवा भाव की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे ही संस्कार भारत को पुनः विश्वगुरु बनने की दिशा में ले जाएंगे।

गायत्री विद्यापीठ व्यवस्था मण्डल की प्रमुख श्रीमती शैफाली पण्ड्या ने बताया कि बच्चों को यह शिक्षा प्रारंभ से दी जाती है कि सेवा में विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता देखकर युगऋषि की शिक्षा ‘हम बदलेंगे, युग बदलेगा’ की सार्थकता स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।

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