प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी
पत्रकार राजीव प्रताप की मौत मामले में पुलिस ने गुरुवार देर शाम को अपनी विवेचना में अहम खुलासा किया। पुलिस के अनुसार, उनकी हत्या नहीं, बल्कि ये एक सड़क दुर्घटना थी। दुर्घटना की रात को राजीव शराब के नशे में धुत था और ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। सीसीटीवी कैमरे में राजीव को हाइवे पर रोंग साइड (wrong side) गाड़ी चलाते हुए और लड़खड़ाते हुए साफ देखा जा रहा है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ ही सीसीटीवी कैमरे खंगालने और उनके करीबियों से पूछताछ के बाद पुलिस प्रथम दृष्टया इस नतीजे पर पहुंची है कि ये एक महज सड़क हादसा था। हालांकि, पुलिस स्पष्ट रूप से मामले के खुलासे को अभी और भी पहुलुओं पर विवेचना में जुटी है।
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बीती गुरुवार देर शाम को पुलिस उपाधीक्षक उत्तरकाशी जनक पंवार ने मीडिया को मामले की जांच से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 18 सितंबर को लगभग शाम सात बजे कोटी उत्तरकाशी का एक युवक मनबीर कलूड़ा जो पूर्व में गुमशुदा राजीव प्रताप का विद्यार्थी भी रहा है और राजीव प्रताप के साथ कैमरा मैन का भी काम कर रहा था। दोनों साथ में ज्ञानसू स्थित राजीव के कमरे से निकलकर पुलिस लाईन में नियुक्त मुख्य आरक्षी सोबन से मिलने गए थे। यहां तीनों लोग पुलिस लाईन से पीछे ही शहीद स्मारक के आस पास मिले। सोबन सिंह व राजीव प्रताप का ड्रिंक करने का प्लान बना। तीनो गाड़ी लेकर बाजार गए और शराब और अन्य खाने पीने की सामग्री लेकर वापस दरवार बैंड के सामने टैक्सी स्टैण्ड के पास पहुंचे। यहां से टैक्सी पार्किंग में ही बैठकर खाने पाने का प्रोग्राम बनाते हैं। रात लगभग 10 बजे तक तीनो लोगों का खाना-पीना चला है। उसके पश्चात सोबन सिंह वहां से उठकर अपने घर जाने के लिए गाड़ी निकाली, लेकिन राजीव प्रताप ने फोन पर रूकने के लिए कहा। फिर राजीव व सोबन सिंह का बाजार जाकर होटल में खाना खाने का प्लान बना। यहां बाजार में आकर दोनों ने फिर शराब खरीदकर एक होटल में खाना खाया।
बस अड्डे में लगे सी.सी. टी.वी. से पता चला कि रात्रि 11.00 बजे राजीव प्रताप होटल से बाहर आते हैं लेकिन पैरों में लड़खडाहट थी। थोड़ी देर बाद सोबन सिंह भी होटल से बाहर आता है। दोनो गाड़ी में बैठते हैं, लेकिन सोबन सिंह कुछ देर बाद गाड़ी से बाहर आ जाता है। राजीव प्रताप गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर आ जाते हैं। गाड़ी के अन्दर राजीव प्रताप के अलावा कोई अन्य व्यक्ति बैठा नहीं दिखाई दिया। 11.24 बजे सोबन सिंह की कुछ सेकण्ड बात राजीव प्रताप के मोबाइल पर होती है। गाड़ी बद्री तिराहा, तेखला पुल, अन्तिम बार समय 11.38 बजे रात्रि गंगोरी पुल में लगे सी.सी.टी.वी. कैमरे में गंगोरी की ओर जाती हुई साफ दिखती है। अन्दर राजीव प्रताप के अलावा और कोई व्यक्ति बैठा हुआ नहीं दिखता है। गंगोरी पुल के पश्चात सी.सी. टी.वी. कैमरे बैंक एटीएम व पेट्रोल पम्प पर हैं। दोनों कैमरों की फुटेज चैक की गयी राजीव प्रताप का वाहन उपरोक्त दोनो कैमरो में कहीं नहीं दिखाई दे रहा है। पूछताछ करने पर सोबन सिंह ने बताया कि उसने होटल के सामने राजीव प्रताप को बहुत मनाया कि गाड़ी आगे मत ले जा। उसे नशा भी था और कभी- कभी गाड़ी चलाता था, तो इतना अच्छा नियन्त्रण भी नहीं था। लेकिन वह नहीं माना व यह कहकर कि तुम यहीं पर रहो मैं थोड़ा आगे जा कर गाड़ी घुमाकर अभी आता हूं।
सोबन ने पुलिस को बताया कि राजीव के कोट बंगला में बहन भी रहती है। उसने सोचा वहां गया होगा। वह आगे उजेली कोटबंगला की ओर पैदल पीछे-पीछे गया, लेकिन उसे राजीव नहीं मिला। फिर यह सोचकर कि सुबह गाड़ी ले लूंगा, वह वापस अपने कमरे में चला गया। इसके बाद 11.40 के बीच ही राजीव कहीं गायब हो गया। मनेरी की तरफ जाते हुए भी कैमरे में कहीं नहीं दिखा। अनुमान है कि इस बीच गंगोरी में नियंत्रण खोने पर वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो गया। जो कि पीएम रिपोर्ट भी स्पष्ट करती है। राजीव का शराब के नशे में लड़खड़ाना, रोंग साइड गाड़ी चलाना और कभी कभार ही चौपहिया वाहन चलाना इस बात की आशंका पैदा करता है कि ये एक सड़क दुर्घटना थी। फिलहाल इस पूरे मामले की विवेचना एसआई दिलमोहन बिष्ट कर रहे हैं।
दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी का टेक्निकल निरीक्षण भी करवाया
पुलिस उपाधीक्षक जनक पंवार ने बताया कि उक्त वाहन का विवेचक द्वारा आरआई टेक्निकल के माध्यम से टेक्निकल निरीक्षण करवाया गया। रिपोर्ट के अनुसार वाहन के रोड़ से नदी में गिरते समय गाड़ी के चारों साइड के दरवाजे लॉक थे। शीशे चढ़े हुए थे, जो बाद में गाड़ी नदी में गिरने से टूटे। इग्निशन ऑन था और गाड़ी की चाबी गाड़ी में ही लगी थी। डिक्की का लॉक खुला था। निरीक्षण टीम के अनुसार जब गाड़ी गिरी होगी, तो झटका लगने के कारण बैक साइड का लॉक खुल गया होगा। गाड़ी की इस पोजिशन के अनुसार यदि कोई भी चालक गाड़ी की चाबी स्टेयरिंग में छोड़कर यदि गाड़ी के अन्दर से दरवाजे का लॉक खोलकर बाहर आ जाए तो फिर गाड़ी लॉक नहीं होगी। क्योंकि उस समय गाड़ी के शीशे भी चढ़े थे। बाहर से हाथ डालकर दरवाजे लॉक नहीं हो सकते। टेक्निकल परीक्षण के अनुसार गाड़ी चालक किसी भी स्थिति में रोड़ पर गाड़ी के नदी में गिरते समय बाहर नहीं आ सकता,जब तक गाड़ी के शीशे या दरवाजे न खुलें या टूटें। निरीक्षण के दौरान गाड़ी के अन्दर भरा रेत हटाने पर एक नीले रंग की चप्पल भी मिली। इसके अलावा गाड़ी के अन्दर अन्य कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए।
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